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उत्तराखण्ड एक नजर में - Brief Information of Uttarakhand in Hindi

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उत्तराखण्ड एक नजर में - Brief Information of Uttarakhand  उत्तराखण्ड की स्थापना 9 नबंवर 2000 को हुई थी। उत्तराखण्ड की राजधानी देहरादून है। उत्तराखण्ड में जिलाें की संख्या 13 है। उत्तराखण्ड का सर्वाधिक ऊॅचाई पर्वत शिखर नन्दादेवी (Nanda Devi) है। इस राज्य की 90 प्रतिशत आबादी कृषि पर आधारित है। राज्य में विधान सभा की 70 लाेकसभा की 5 और राज्य सभा की 3 सीटें हैं। यहाॅ की राजकीय भाषा हिंदी है। यहॉ का राजकीय पक्षी हिमालयन मोनाल है। यहॉ का राजकीय पशु कस्तूरी मृग है। यहॉ का राजकीय फूल कमल है। यहॉ का राजकीय पेड बुरांस( Buransh,  Rhododendron arboreum)  है। इस राज्य के सबसे बडे शहर देहरादून (Dehradun), बागेश्वर (Bageshwar), रानीखेत (Ranikhet), कौसानी (Kausani), औली (Auli), रूद्रप्रयाग (Rudraprayag), हरिद्वार  (Haridwar) हैं। यहॉ की प्रमुख फसलें चाय, दलहन, तिलहन हैं। राज्य में सडकों की कुल लंबाई 29939 किमी है। जनसंख्या के मामले में राज्य 20 स्थान पर है। उत्तराखण्ड प्रोजेक्ट शिक्षा प्रारम्भ करने वाला देश का पहला राज्य है। देश की पहली आई . टी हिंदी प्रयोगश...

उत्तराखंड- एक देवस्थल

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उत्तराखंड में कई धार्मिक स्थान और पूजन स्थल है जिसके कारण उत्तराखंड को ‘ देव भूमि ’ या फिर ‘ भगवान की भूमि ’ भी कहा जाता है। ये भक्ति और तीर्थयात्रा के लिए सबसे पवित्र और अनुकूल स्थान माना गया है।    उत्तराखंड , उत्तर भारत में स्थित एक बहुत ही सुंदर और शांत पर्यटन केंद्र है । इस जगह का शुमार देश की कुछ उन चुनिन्दा जगहों में है जो अपनी सुन्दरता के लिए दुनिया भर के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है।  उत्तराखंड को अपने स्वच्छ वातावरण , मनमोहक दृश्यों और खूबसूरती के कारण पृथ्वी का स्वर्ग माना जाता है। उत्तराखंड की स्थापना- सन 2000 से पहले उत्तराखंड उत्तर प्रदेश का ही एक हिस्सा ( Part ) था | 9 नवंबर 2000 में देश के सबसे बड़े राज्य से अलग होने के बाद उत्तराखंड अपने आप में पूर्ण राज्य बन गया। उत्तराखंड के बारे में विस्तार से- उत्तर प्रदेश के पश्चिमोत्तर भाग के कई जिलों और हिमालय पर्वत श्रृंखला के एक छोटे से हिस्से को एकसाथ जोड़कर उत्तराखंड राज्य का गठन किया गया था। यह राज्य हिमालय की तराई और भाभर की प्राकृतिक सुंदरता के लिए मशहूर है। तिब्बत का स्वायत्...

उत्तराखंड का इतिहास ( विस्तार में )

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टिहरी के बारे मे आप तक कूछ जानकरी टिहरी सन् 1815 से पूर्व तक एक छोटी सी बस्ती थी। धुनारों की बस्ती, जिसमें रहते थे 8-10 परिवार। इनका व्यवसाय था तीर्थ यात्रियों व अन्य लोगों को नदी आर-पार कराना। धुनारों की यह बस्ती कब बसी। यह विस्तृत व स्पष्ट रूप से ज्ञात नहीं लेकिन 17वीं शताब्दी में पंवार वंशीय गढ़वाल राजा महीपत शाह के सेना नायक रिखोला लोदी के इस बस्ती में एक बार पहुंचने का इतिहास में उल्लेख आता है। इससे भी पूर्व इस स्थान का उल्लेख स्कन्द पुराण के केदार खण्ड में भी है जिसमें इसे गणेशप्रयाग व धनुषतीर्थ कहा गया है। सत्तेश्वर शिवलिंग सहित कुछ और सिद्ध तीर्थों का भी केदार खण्ड में उल्लेख है। तीन नदियों के संगम (भागीरथी, भिलंगना व घृत गंगा) या तीन छोर से नदी से घिरे होने के कारण इस जगह को त्रिहरी व फिर टीरी व टिहरी नाम से पुकारा जाने लगा। पौराणिक स्थल व सिद्ध क्षेत्र होने के बावजूद टिहरी को तीर्थस्थल के रूप में ज्यादा मान्यता व प्रचार नहीं मिल पाया। ऐतिहासिक रूप से यह 1815 में ही चर्चा में आया जब ईस्ट इण्डिया कम्पनी की सहायता से गढ़वाल राजा सुदर्शन शाह गोरखों के हाथों 1803 में गं...

Narendra Singh Negi Songs

Thando Re Thando ठंडो रे ठंडो- Mera Dandi Kanthiyon Ka मेरा डांडी कांठियों का-